प्रशंसित वेब सीरीज Panchayat का बहुप्रतीक्षित Season 3 आखिरकार अमेज़न प्राइम वीडियो पर आ चुका है । Fulera गांव की मासूमियत और सरल जीवनशैली के बीच सरकारी नौकरी करने आए अभिषेक (जितेंद्र कुमार) की कहानी दर्शकों को खूब पसंद आई थी । पहले दो सीजन ग्रामीण भारत की जमीनी हकीकतों को हास्य के साथ पेश करते थे, लेकिन Season 3 में कहानी एक दिलचस्प मोड़ ले लेती है । आइए अब तक आए एपिसोडों पर एक नजर डालते हैं
Episode 1: रंगबाज़ी
पहला एपिसोड थोड़ा उदास नोट पर शुरू होता है । अभिषेक का Fulera से तबादला हो चुका है और Fulera में नए सचिव के जोइनिंग को फुलेरा गाओं के द्वारा रोकने की रंगबाज़ी देखने को मिलती हैं। इस एपिसोड में प्रह्लाद का समय से पहले ना जाने वाली बात दिल को छू जाती हैं जैसे उनके बेटे का असकला जाना वैसे सचिव जी का असमय जाना उन्हें मंजूर नहीं, जो कहानी में एक गंभीरता लाता है ।
Episode 2: गड्ढ़ा
दूसरे एपिसोड में Fulera में सचिव जी गांव के सड़क के गड्ढे और प्रधानमत्री आवास योजना के आवास आबंटन के राजनीति में उलझते चले जाते हैं। इस एपिसोड में रिंकी और सचिव जी का एक दूसरे के प्रति पनपता हुए प्यार को बखूबी दर्शाया हैं। उन दृश्यों से हर कोई कनेक्ट करता हैं और अपने उनदिनों की यद् जरूर दिलत हैं।
Episode 3: घर या ईंट-पत्थर
तीसरा एपिसोड में भूषण के द्वारा आवास योजना के आबंटन के आधार पर प्रधान जी को घेरने का मौका मिलता हैं और सचिव जी अभिषेक डैमेज कंट्रोल मोड में कूद पड़ता है। प्रह्लाद को यह पसंद नहीं है आता कि प्रधान राजनीतिक लाभ के लिए अभिषेक का इस्तेमाल करते हैं। एपिसोड के अंत में प्रह्लाद और दादी जी वो सीन सब के दिल को छू जाता हैं “सोने के बदले कोई इट-पत्थर ख़रीदता हैं क्या” रिश्तो और अपनों की कीमत पैसे सो तोली नहीं जा सकती।
Episode 4: आत्ममंथन
चौथा एपिसोड प्रधान की प्रतिष्ठा को आखिरी झटका तब लगा जब उन पर आवास योजना के आबंटन में पक्षपात का आरोप लगाया जाता हैं । इस बीच प्रधान के शासन को खत्म करने के लिए भूषण विधायक के साथ गठबंधन कर लेते हैं। प्रह्लाद और सचिव जी भी इसके लिए प्रधान जी को जिम्मेदार मानते हैं, बावजूद इसके सभी प्रधान जी के साथ खड़े होते हैं, और इस समस्या का समाधान ढूढ़ते की कोशिस करते हैं ।
Episode 5: शांति समझौता
पांचवां एपिसोड कहानी में एक जबरदस्त मोड़ लाता है । मंजू देवी अनिच्छा से भूषण के विधायक के साथ शांति समझौते के प्रस्ताव पर सहमत हो जाती है। अभिषेक भी अपनी सहमति दे देता है क्योंकि विधायक के सहयोग के बिना गांव की सड़क बनवाना मुश्किल है। लेकिन एपिसोड के समापन के दौरान शांति समझौता उल्टा पड़ जाता हैं क्योकि दुर्भाग्य से विधायक द्वारा कबूतर मारा जाता हैं।
Episode 6: चिंगारी
छठे एपिसोड में फुलेरा Fulera में राजनितिक जंग पूरी तरह छिड़ जाती है । अपनी छवि को सुधारने के लिए प्रधान समर्थक विधायक द्वारा की गई एक घातक गलती का फायदा उठाने के लिए जाल बिछाता है। तमाम राजनीतिक उथल-पुथल के बीच एक अप्रत्याशित खबर प्रधान समर्थक के लिए खुशी लेकर आती है, और विधायक की छवि और धूमिल होती हैं।
Episode 7: शोला
सातवें एपिसोड में विधायक द्वारा बम बहादुर पर विफल हमला करवाता हैं, जिसका जवाब Fulera फुलेरा वासी उनके घोड़े को खरीद कर उन्हें निचा दिखने की योजना बनाते हैं । इस एपिसोड में गणेश जी का आगमन होता है, जो की गांव के दामाद भी हैं , सचिव जी और गणेश जी का झगड़ा तो जग जाहिर हैं। उन दोनों के बिच फिल्माए गए सिन रोमांच बनाये रखते हैं। और हैं गणेश जी का विधायक के घोड़े खरीदने की योजना में सबसे बड़ा योगदान हैं। जो आप ये एपिसोड देखेंगे तो पता चल ही जायेगा।
Episode 8: हमला
आठवां एपिसोड अंत में, प्रधान पूरे फुलेरा को अपने पीछे लामबंद करता है और आखिरी लड़ाई लड़ता है। अभिषेक खुद को गांव की राजनीति के दलदल में पाता है और अपनी निष्पक्षता खो देता है। एपिसोड के सम्पन से पहले प्रधान जी की ऊपर जानलेवा हमला और उस हमले के लिए Fulera फुलेरा वासी विधायक जी के खेमे से उलझ उठते हैं और दोनों पक्षों को थाने जाना होता हैं, उसी दौरान डी.एम. मैडम द्वारा पंचायत चुनाव का आदेश पारित होना और सीजन ३ का समापन होता हैं। अभिषेक की फुलेरा Fulera में स्थिति और ग्राम पंचायत के समक्ष आने वाली चुनौतियां भी इस एपिसोड में छुए जाते हैं ।
कुल मिलाकर (Overall)
पंचायत सीजन 3 हास्य और यथार्थ का एक प्रभावशाली मिश्रण है । जितेंद्र कुमार का अभिनय हमेशा की तरह शानदार है, वहीं नीना गुप्ता और रघुवीर यादव की परिपक्व अभिनय दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है । सीजन 3 विकास जैसे पात्रों के माध्यम से सामाजिक मुद्दों को भी छूता है ।
हालांकि, कुछ कमियां भी हैं । कहानी की गति थोड़ी धीमी लगती है, खासकर शुरुआती एपिसोड में शहरी जीवन से अभिषेक के असंतोष और Fulera लौटने की उसकी इच्छा को थोड़ा और गहराई से दिखाया जा सकता था ।
फिर भी, पंचायत सीजन 3 निराश नहीं करता । यह ग्रामीण भारत के विकास की धुंधली तस्वीर पेश करता है, जहाँ परंपरा और आधुनिकता के बीच टकराव जारी है । यह सीजन दर्शकों को हंसाता है, सोचने पर मजबूर करता है, और Fulera के भविष्य के बारे में उत्सुकता जगाता है ।
अंतिम एपिसोड में डी. एम. का पंचायत चुनाव का आह्वान करना , प्रधान समर्थक और विधायक समर्थक के बिच घमासान लड़ाई के साथ कहानी एक रोमांचक मोड़ पर खत्म होती है ।यह इंतजार कराने वाला है कि पंचायत सीजन 4 में Fulera का क्या हाल होगा और अभिषेक की भूमिका क्या होगी ।
Way of story telling is superb.